Friday, November 21, 2008

प्रॉपर्टी: 2009 में 25% गिरावट का अंदेशा

भारतीय प्रॉपर्टी बाजार में अगले साल 25 परसेंट तक गिरावट आ सकती है। इसकी वजह ग्लोबल फाइनांशियल क्राइसिस की वजह से घर खरीदने वालों के
भरोसे में आई कमी है। इससे डेवलपर्स की हालत और खराब होगी, क्योंकि पहले से ही उनके पास फंड की भारी कमी है। एशिया में सबसे बड़े प्रॉपर्टी मेले MIPIM एशिया कॉन्फ्रेंस में आए प्रतिनिधियों का मानना है कि आने वाला समय प्रॉपर्टी के लिए बुरा बीतने वाला है। भारत में प्रॉपर्टी का बूम पिछले एक साल से उतार पर है और 2007 के सबसे ऊंचे लेवल से जमीन की कीमत 15 परसेंट तक नीचे आ चुकी हैं। प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म DTZ के अंशुल जैन का कहना है कि वो 2009 को बेहद बुरा वक्त मानकर चल रहे हैं। कीमतों में गिरावट के संकेत दिखने लगे हैं और इस बात के संकेत भी हैं कि इसमें और गिरावट आ सकती है। एक और प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म कुशमन एंड वेकफिल्ड के ज्वायंट एमडी अनुराग माथुर कहते हैं कि भारत में प्रॉपर्टी प्राइस में 20 से 25 परसेंट का करेक्शन हो सकता है। उनके मुताबिक कीमतों पर काफी दबाव है। 2005 में कंस्ट्रक्शन कंपनियों में निवेश के नियम आसान बनाए जाने के बाद के दो साल में कई इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमत दोगुनी हो गई थी। इससे विदेशी फंड में भी भारत में प्रॉपर्टी खरीदने का जोश जगा। कई डेवलपर्स ने मार्गन स्टेनले, सिटीग्रुप और मेरिल लिंच जैसे विदेशी फंड के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में खरीदारी की। डीएलएफ और पार्श्वनाथ जैसे बिल्डर्स ने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स अनाउंस किए। लेकिन कीमतों में तेजी और इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी से घरों की बिक्री पर ब्रेक लग गया। महंगाई रोकने के लिए सरकार और आरबीआई ने होम लोन को महंगा और मुश्किल बना दिया। इसके बाद आई ग्लोबल मंदी ने माहौल बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। इस दौरान प्रॉपर्टी कंपनियों के शेयर भी जमीन पर आ गए। मिसाल के तौर पर सेंसेक्स इस साल 58 परसेंट गिरा, जबकि डीएलएफ के शेयर 80 परसेंट तक गिर गए। हालांकि डेवलपर उम्मीद कर रहे हैं कि इनफ्लेशन काबू में आने के बाद इंटरेस्ट रेट भी घटेंगे और इसका फायदा प्रॉपर्टी सेक्टर को मिलेगा। साथ ही इस बात की भी पहल हो रही है कि डेवलपर सस्ते घरों पर जोर बढ़ाएं।

No comments:

Hit Counter